Shiv Chalisa

शिव चालीसा (पूर्ण) — अर्थ, लाभ (Labh), सोमवार/महाशिवरात्रि पूजा‑विधि, मंत्र, आरती, उपाय

शिव चालीसा (पूर्ण) — अर्थ, लाभ (Labh), पूजा‑विधि, मंत्र, आरती, उपाय

1) शिव

भगवान शिव आद्य‑योगी, करुणामय, और संहार‑तत्त्व के देव हैं—जो संसार के अनावश्यक, जड़ और अशुभ तत्वों का अंत करके नव‑सृजन के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं। उनका संदेश साधु‑सरल जीवन, सत्य‑अहिंसा, ध्यान‑समाधि और अहंकार का क्षय है।

भाव सर्वोपरि—सामग्री सीमित होने पर भी श्रद्धा, संयम और सेवा‑भाव से पूजा करें।

2) शिव चालीसा (पूर्ण पाठ)

(लोक‑प्रचलित पाठ; क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म भिन्नताएँ संभव।)

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करन कृपाल। दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजापति दीनदयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा, सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥ अंग गौर, शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मन डोले॥ नंदी ब्रह्मा शतिरिषि गाये। नारद शारद शीश नवाये॥ नमो नमः शिव शम्भु हराए। गुरु गौरी को अति प्रिय भाए॥ देव शरद गनपति सहिता। तुमसे ही सब जग है रचिता॥ जगत पिता तुम देव कहलावे। त्रिगुण स्वरूप सभी जन गावें॥ यज्ञ‑योग‑ज्ञान उपासक। सबहि तुमें शिव! दीन निवासक॥ वेद‑पुराण तुम्हारी महिमा। गावत श्रुति नित नूतन सीमा॥ प्रभु! शंकर! तुम जग के ताता। विष‑हरि नीलकण्ठ विधाता॥ जो जन ध्यान लगावैं तुम्हरा। पार न पावैं गुण एक तुम्हारा॥ कुबेरादिक धनपति नारि। तुम बिन देन न कोई उबारि॥ भक्ति‑मार्ग जो धरै उराई। भव‑सागर से तरै तराई॥ रावण जो शिवलिंग चुरायो। लंका में प्रबल बल पायो॥ संकट में जब जगत त्रासे। तुम्ह ही त्राता, सब भय नाशे॥ भूत‑प्रेत‑पिशाच न निकट आवै। महिमा जपे नाम जो गावै॥ काज करें सब काज तुम्हारे। दोष मिटें, गति पावै न्यारे॥ जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर कृपा शिवें बरसाई॥ धन‑धान्य सुख देह प्रणेता। संतोषी करि, करें सुरेता॥ दीनदयाल दयामय दाता। शरणागत के संकटहंता॥ त्रिभुवननाथ दीन उबारो। जन‑मन‑वाञ्छित फल तूम्हारो॥ ॥ समापन दोहा ॥ नवघट‑नव पत्र‑नव धूप, नव दीप अर्पण कीज। शंकर! करहु अनुग्रह, हरहु क्लेश सब कीज॥
नोट: आपके क्षेत्र/परंपरा में जहाँ पाठ भिन्न हो, वहाँ वही रूप ग्रहण करें।

3) लाभ (Labh / Benefits)

  • मानसिक‑आध्यात्मिक: वैराग्य, संतोष, क्षमा, करुणा, स्थिरता।
  • व्यावहारिक: अनुशासन, समय‑पालन, निर्णय‑बुद्धि, तनाव‑प्रबंधन।
  • सामाजिक: सरलता, सेवाभाव, सहानुभूति; पारिवारिक सौहार्द।
  • आत्म‑विकास: नकारात्मक आदतों पर संयम; दीर्घकालीन लक्ष्यों पर ध्यान।

लाभ श्रद्धा + अभ्यास + सदाचार पर आधारित; अंध‑विश्वास से नहीं, सत्कर्म से फल।

4) सोमवार/महाशिवरात्रि पूजा‑विधि

  1. संकल्प: स्नान के बाद शुद्ध स्थान, महादेव का ध्यान; सत्य/अहिंसा/सेवा का व्रत।
  2. आसन‑दीप: पूर्व/उत्तराभिमुख बैठें; घी/तिल का दीप, धूप, शुद्ध जल/गंगाजल।
  3. अर्घ्य/अभिषेक: जल/दूध/दही/शहद/घी से पंचामृत—उपलब्धता अनुसार सरल रखें। बिल्वपत्र, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
  4. मंत्र‑जप:
    पंचाक्षरी: ॐ नमः शिवाय — 108।
    महामृत्युंजय: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ — 11/108।
  5. चालीसा पाठ: देवनागरी पाठ, फिर अर्थ‑स्मरण।
  6. आरती‑प्रसाद: “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती; प्रसाद/पंचामृत/फल बाँटें।
यदि सामग्री सीमित हो: केवल जल‑अभिषेक/मानसिक अर्पण, दीप‑धूप और जप पर्याप्त; भाव ही प्रधान।

5) मंत्र‑जप सूची

पंचाक्षरी

ॐ नमः शिवाय। (108)

महामृत्युंजय

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। (11/108)

रुद्राय नमः

ॐ नमो भगवते रुद्राय।

शिव गायत्री

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

लघु ध्यान

श्वास 4‑4 ताल; मन में हिम‑शिखर, गंगाधर, त्रिशूल का ध्यान; 3–7 मिनट।

6) शिव आरती (संक्षेप)

ॐ जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ शिव आरती Full

7) नियम‑निषेध व सावधानियाँ

  • सात्त्विक आहार‑विचार; कटु‑वाणी/अहंकार/अत्यासक्ति से दूरी।
  • दान शुद्ध कमाई से; गौ/अन्न/औषधि/शिक्षा‑सहायता श्रेष्ठ।
  • नियमितता प्राथमिक—कम समय हो तो भी दैनिक 5–10 मिनट जप/ध्यान।

8) सरल उपाय (घर पर)

सेवा‑दान

  • अन्न‑दान/रोगी‑सेवा/वृक्ष‑रोपण/स्वच्छता।
  • पंचामृत/फल का प्रसाद बाँटना।

अनुशासन

  • समय‑पालन, संयम, कृतज्ञता‑डायरी, लक्ष्य‑ट्रैकिंग।
  • क्रोध/लोभ/मोह पर अभ्यासपूर्वक नियंत्रण।

9) कथा‑सार और प्रतीक

शिव का नीलकण्ठ रूप—हलाहल विष का पान—यह सिखाता है कि कठिनाइयों को सचेतन स्वीकार कर, विषाद को भी करुणा/धैर्य में रूपांतरित किया जा सकता है। त्रिशूल तीन गुणों (सत्त्व‑रजस्‑तमस्) पर नियंत्रण का संकेत, डमरु सृष्टि‑लय‑प्रलय की ताल का प्रतीक, और जटा स्थिर‑चित्त की निशानी है।

10) शिव के नाम (संक्षेप)

  • महादेव
  • शंकर
  • भोलेनाथ
  • रुद्र
  • नीलकण्ठ
  • त्रिलोचन
  • महेश
  • भूतनाथ
  • विश्वनाथ
  • महाकाल
  • भैरव
  • त्र्यंबक
  • गंगाधर
  • चन्द्रशेखर
  • सोमनाथ
  • पशुपति
  • कालभैरव
  • शर्व
  • जटाधर
  • वृषभवाहन
  • शूलपाणि
  • खट्वांगिन
  • प्रमथाधिप
  • कपालिन
  • शर्वरी
  • सर्वेश
  • हरिहर
  • रुद्रेश
  • मृड
  • शम्भु
  • ईशान
  • सदाशिव
  • महेश्वर
  • वामदेव
  • तत्पुरुष
  • अघोर
  • ईश
  • त्रिपुरान्तक
  • हर
  • उमा‑पति
  • दिगम्बर
  • नटराज
  • कैलासपति
  • गिरिजापति
  • शितिकण्ठ
  • त्रिनेत्र
  • महायोगी
  • योगेश्वर
  • अच्युत
  • भव
  • उग्र
  • दयरूप
  • दु:खहारी
  • अनन्त

11) त्वरित सारणी (Quick Tables)

विषयसंक्षेप
उचित समयप्रातः/संध्या; सोमवार/प्रदोष/महाशिवरात्रि विशेष।
आवश्यक सामग्रीदीप‑धूप, जल/गंगाजल, बिल्वपत्र, पुष्प; उपलब्धता अनुसार सरल रखें।
मुख्य मंत्रॐ नमः शिवाय; महामृत्युंजय मंत्र।
आचरणसत्य, अहिंसा, संयम, सेवा, ध्यान।
लाभवैराग्य, संतोष, साहस, मन‑स्थिरता, विवेक।

12) सामान्य प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या शिव चालीसा का दैनिक पाठ उचित है?

हाँ—दैनिक एक बार पर्याप्त है; सोमवार/प्रदोष/महाशिवरात्रि को विशेष श्रद्धा से।

Q2. क्या उपवास अनिवार्य है?

अनिवार्य नहीं; स्वास्थ्य‑अनुकूल हो तो लघु‑उपवास/सात्त्विक आहार रखें।

Q3. क्या केवल लिप्यंतरण में पाठ कर सकते हैं?

हाँ—देवनागरी सर्वोत्तम; पर शुरुआत में लिप्यंतरण सहायक।

Q4. गलत उच्चारण से हानि?

उद्देश्य भाव और एकाग्रता है; सीखते हुए सुधारें—भय न रखें।

Q5. क्या केवल जल‑अभिषेक पर्याप्त?

हाँ—भाव सर्वोपरि; जल/बिल्वपत्र/दीप के साथ सरल पूजा भी पर्याप्त।

Q6. क्या महिलाएँ/गृहस्थ सभी कर सकते हैं?

हाँ—धर्म/आयु/स्थान से परे; संयम और सदाचार प्रमुख है।

13) नोट्स

परंपरा‑सूचक: चालीसा/आरती पाठ में क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म अंतर मिलते हैं। यह पोस्ट भक्त‑प्रचलित रूप का संकलन है। आपके क्षेत्र में जो रूप मान्य है, वही ग्रहण करें।

हर हर महादेव
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