Shani Aarti

शनि आरती (अर्थ और लाभ सहित)

शनि आरती का परिचय

हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनि आरती एक devotional song है जिसे शनिदेव की पूजा-अर्चना के दौरान गाया जाता है। यह आरती शनिदेव की कृपा प्राप्त करने, उनके कोप से बचने और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए गाई जाती है।

शनि आरती में शनिदेव के गुणों, शक्तियों और कृपा का वर्णन किया गया है। इस आरती का नियमित पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से राहत मिलती है तथा जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

शनि आरती के बोल

ॐ जय जय शनिदेव भक्तन हितकारी
सुनि विनय हमारी अर्ध्य चढ़ै तुम्हारी ॥
सुरज के पुत्र प्रभु छबि छवि जाती
अस कहि अरज बलिहारी केहि विधि त्रुटि न्यारी ॥
कृष्णावतार सुनि क्रोध महं तुम धारे
असुर संहारे बाढ़े दुष्ट संसारे ॥
माता पिता गुरु जन की अवज्ञा करत है
सो नर दुख पावत है ताको फल पावत है ॥
जो जन नित्य ध्यान धरै शनिश्वर का
ताके पाप नाशे महा सुख राजे ॥
दीनानाथ दयाल दास की सुनिए
अरज सुनिए भक्ति प्रद कीजिए ॥
शनिश्चर की आरती जो कोई नर गावे
कहत सेवक स्वामी सुख संपत्ति पावे ॥

शनि आरती का अर्थ

पहला पद: हे शनिदेव! आपकी जय हो, आप भक्तों के हितैषी हैं। हमारी विनती सुनकर हमारे द्वारा चढ़ाए गए अर्ध्य को स्वीकार करें।

दूसरा पद: हे सूर्यपुत्र प्रभु! आपकी छवि अद्भुत है। ऐसा कहकर हम आपसे निवेदन करते हैं कि हमसे हुई किसी भी त्रुटि को क्षमा करें।

तीसरा पद: कृष्ण अवतार की कथा सुनकर आपने क्रोध धारण किया और असुरों का संहार किया, दुष्टों के दलों को नष्ट किया।

चौथा पद: जो व्यक्ति माता-पिता और गुरुजनों की अवज्ञा करता है, वह दुख पाता है और उसे अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है।

पाँचवां पद: जो व्यक्ति नियमित रूप से शनिदेव का ध्यान करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसके जीवन में महान सुख और राज्य की प्राप्ति होती है।

छठा पद: हे दीनानाथ! दयालु प्रभु! अपने भक्त की प्रार्थना सुनिए और उसे भक्ति प्रदान कीजिए।

सातवाँ पद: शनिश्चर की इस आरती को जो कोई भी मनुष्य गाता है, सेवक कहता है कि उसे सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।

शनि आरती के लाभ

शनि आरती का नियमित पाठ करने से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्ति मिलती है
  • जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं
  • करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है
  • न्यायिक मामलों में सफलता प्राप्त होती है
  • मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है
  • शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है
  • आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है
  • मानसिक शांति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है

शनि आरती करने का सही तरीका

शनि आरती का maximum benefit प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित विधि से इसका पाठ करें:

  1. शनिवार के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
  2. शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें
  3. तेल का दीपक जलाएं और सरसों के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें
  4. नीले या काले फूल, काले तिल, उड़द की दाल और लोहे की वस्तु चढ़ाएं
  5. धूप-दीप दिखाकर शनि मंत्रों का जाप करें
  6. शनि आरती का पाठ करें और आरती उतारें
  7. आरती के बाद प्रसाद वितरित करें
  8. शनि दान का विशेष महत्व है - नीलम रत्न, उड़द की दाल, तिल, तेल, लोहा आदि का दान करें

शनि आरती का पाठ विशेष रूप से शनिवार के दिन, शनि जयंती, शनि अमावस्या और शनि प्रदोष के दिन अत्यंत फलदायी माना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शनि आरती कब पढ़नी चाहिए?

शनि आरती शनिवार के दिन शाम के समय पढ़नी चाहिए। विशेष रूप से शनि जयंती, शनि अमावस्या और शनि प्रदोष के दिन इस आरती का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।

शनि आरती पढ़ने के क्या लाभ हैं?

शनि आरती का नियमित पाठ करने से शनि दोष शांत होते हैं, कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, और शनि की साढ़ेसाती एवं ढैय्या के प्रभाव से राहत मिलती है।

क्या शनि आरती घर पर पढ़ सकते हैं?

हां, शनि आरती घर पर पढ़ी जा सकती है। आरती करते समय शनिदेव की प्रतिमा या चित्र के सामने तेल का दीपक जलाएं और नियमपूर्वक आरती का पाठ करें।

शनि आरती पढ़ते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

शनि आरती पढ़ते समय काले या नीले वस्त्र पहनने चाहिए, सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और आरती के बाद किसी जरूरतमंद को तेल, उड़द की दाल या नमक का दान करना चाहिए।

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