Gayatri Aarti
गायत्री माता की आरती
गायत्री माता को वेदों की जननी कहा जाता है। गायत्री मंत्र सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। गायत्री माता की आरती का नियमित पाठ करने से मनुष्य को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
गायत्री माता की आरती
आरती
ॐ जय गायत्री माता, मैया जय गायत्री माता।
जो कोई तुमको ध्याता, ध्यान से मनवांछित फल पाता॥
चंद्र सूर्य तुम्हारी ज्योति, समस्त देवता श्याम प्यारी।
वेद पुराणों की माता, तुम्हीं तो हैं जग के धाता॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, प्रगट करें त्रिगुण अवतारा।
उनकी महिमा है अगम, तुम हो उनकी आधारा॥
तुम्हारी महिमा है अपार, नित सेवें हरि शंकर।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति करनी हर॥
तुम करनी तुम धरनी, तुम हो कर्म की साक्षी।
जग की जननी जगदंबा, सबकी हो भक्ति राखी॥
पतित तारिणी माता, तुम हो भवसागर तारनी।
संकट मोचन नाम है, भक्तजन की दुखहरनी॥
तुम्हारे नाम का सुमिरन, जो भी नर करे प्राणी।
तुम उस पर करो कृपा, जगदंबे जगद्धात्री॥
गायत्री माता की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत सेवक स्वामी दासा, सुख संपत्ति पावे॥
आरती का अर्थ
पहला पद: हे गायत्री माता! आपकी जय हो। जो भी व्यक्ति आपका ध्यान करता है, उसे अपने मन की इच्छाएं पूरी होती हैं।
दूसरा पद: चंद्रमा और सूर्य आपकी ज्योति के प्रतीक हैं। सभी देवता आपको प्यार करते हैं। आप वेद और पुराणों की माता हैं और संपूर्ण जगत की धारण करने वाली हैं।
तीसरा पद: ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने तीन गुणों का अवतार प्रकट किया है। उनकी महिमा अगम्य है और आप उनका आधार हैं।
चौथा पद: आपकी महिमा अपार है, हरि और शंकर नित्य आपकी सेवा करते हैं। आप दुर्गा का रूप हैं और सुख-संपत्ति देने वाली हैं।
पाँचवा पद: आप ही कर्मों को करती और धारण करती हैं, आप कर्मों की साक्षी हैं। आप जगत की जननी हैं और सभी भक्तों की रक्षा करती हैं।
छठा पद: हे माता! आप पतितों का उद्धार करने वाली और संसार रूपी सागर से पार उतारने वाली हैं। आपका नाम संकटमोचन है और आप भक्तों के दुख हरने वाली हैं।
सातवाँ पद: हे जगदंबे! हे जगद्धात्री! जो कोई भी मनुष्य आपके नाम का स्मरण करता है, आप उस पर कृपा करें।
आठवाँ पद: गायत्री माता की आरती जो कोई भी मनुष्य गाता है, सेवक स्वामी दासा कहता है कि वह सुख और संपत्ति प्राप्त करता है।
गायत्री माता की आरती के लाभ
गायत्री माता की आरती का नियमित पाठ करने से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं:
मानसिक शांति
आरती के पाठ से मन को शांति मिलती है और तनाव दूर होता है।
सकारात्मक ऊर्जा
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति
नियमित आरती पाठ से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
सफलता में वृद्धि
शिक्षा, व्यवसाय और अन्य सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
रोगों से मुक्ति
शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
पारिवारिक सुख
पारिवारिक कलह दूर होती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
गायत्री मंत्र का अर्थ
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।
आरती करने की विधि
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- गायत्री माता की छवि या प्रतिमा सामने रखें।
- आसन पर बैठकर थोड़ा जल या गंगाजल अपने ऊपर छिड़कें।
- दीपक जलाकर गायत्री माता की आरती करें।
- आरती के बाद गायत्री मंत्र का जाप करें।
- अंत में प्रसाद वितरित करें और आरती का जल पीएं।
गायत्री माता आरती के बारे में प्रश्नोत्तर
गायत्री माता की आरती कब करनी चाहिए?
गायत्री माता की आरती सुबह और शाम दोनों समय की जा सकती है। प्रातःकाल सूर्योदय के समय और सायंकाल सूर्यास्त के समय आरती करना विशेष फलदायी माना जाता है।
गायत्री आरती का पाठ कितनी बार करना चाहिए?
गायत्री आरती का पाठ generally 1, 3, 5, 7, 11 या 21 बार किया जा सकता है। नियमित रूप से कम से कम तीन बार आरती अवश्य करनी चाहिए।
गायत्री माता की आरती का क्या महत्व है?
गायत्री माता की आरती का बहुत अधिक महत्व है। यह आरती मन की इच्छाओं को पूर्ण करती है, बुद्धि को तेज करती है, और जीवन के सभी कष्टों को दूर करने में सहायक होती है।
क्या गायत्री आरती केवल ब्राह्मण ही कर सकते हैं?
नहीं, गायत्री आरती कोई भी व्यक्ति regardless of जाति या वर्ग कर सकता है। गायत्री माता सभी की कल्याणकारी हैं और सभी के लिए उनकी कृपा समान रूप से है।