Dashrath Krit Shani Stotra
दशरथ कृत शनि स्तोत्र (अर्थ और लाभ सहित)
शनि देव की कृपा प्राप्त करने हेतु श्री दशरथ जी द्वारा रचित अद्भुत स्तोत्र
📜 पाठ करने की विधि
शनिवार के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शनि देव के सामने दीपक जलाएं और तिल के तेल का दीया जलाना विशेष शुभ होता है। आसन पर बैठकर श्रद्धापूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करें।
🌑 शनि स्तोत्र
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥
कालाग्नि के समान रूप वाले और कृतान्त (यम) के समान आपको नमस्कार है।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥
विशाल नेत्रों वाले, सूखे उदर वाले और भयानक स्वरूप वाले आपको नमस्कार है।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते॥
लंबे और सूखे शरीर वाले, काली दाढ़ों वाले आपको नमस्कार है।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥
भयानक, रौद्र रूप वाले, भीषण स्वरूप वाले और कपाल धारण करने वाले आपको नमस्कार है।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च॥
हे सूर्यपुत्र! आपको नमस्कार है, हे भास्कर पुत्र! भय देने वाले आपको नमस्कार है।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते॥
धीमी गति से चलने वाले आपको नमस्कार है, हे निर्दोष! आपको नमस्कार है।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥
सदैव क्षुधा (भूख) से पीड़ित और कभी तृप्त न होने वाले आपको नमस्कार है।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
आप प्रसन्न होने पर राज्य देते हैं और क्रोधित होने पर तत्काल छीन लेते हैं।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:॥
आपके द्वारा देखे गए सभी का समूल नाश हो जाता है।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:॥
इस प्रकार स्तुति किए जाने पर महाबली ग्रहराज शनि प्रसन्न हुए।
✨ शनि स्तोत्र पाठ के लाभ
- शनि की साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है
- कर्मों का फल अच्छा मिलने लगता है और जीवन में स्थिरता आती है
- नौकरी, व्यवसाय और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है
- विवादों और मुकदमों में सफलता मिलती है
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनका भय समाप्त होता है
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है
- पारिवारिक कलह समाप्त होती है और सुख-शांति का वातावरण बनता है
- आत्मविश्वास बढ़ता है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है
शनि स्तोत्र के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: शनि स्तोत्र का पाठ शनिवार के दिन प्रातः काल या सायंकाल के समय करना सर्वाधिक फलदायी माना जाता है। विशेष रूप से शनि की साढ़ेसाती या ढैया के प्रभाव में होने पर नियमित रूप से इसका पाठ करना चाहिए।
प्रश्न: शनि स्तोत्र का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: इस स्तोत्र के नियमित पाठ से शनि दोष शांत होते हैं, कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और जीवन में स्थिरता आती है। शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न: क्या महिलाएं शनि स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, महिलाएं भी शनि स्तोत्र का पाठ कर सकती हैं। इसके लिए कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। केवल मासिक धर्म के दौरान कुछ लोग पाठ से परहेज करते हैं, लेकिन यह व्यक्तिगत मान्यता का विषय है।
🌿 नोट: इस स्तोत्र का नियमित पाठ शनि दोष निवारण में अत्यंत प्रभावी माना गया है। पाठ करते समय श्रद्धा और विश्वास का होना आवश्यक है।