Surya Mantra
सूर्य मंत्र, द्वादश‑नाम, सूर्य गायत्री, बीज‑मंत्र, नवग्रह सूर्य मंत्र, अर्घ्य‑मंत्र, Arth Sahit Labh
1) प्रमुख सूर्य मंत्र — देवनागरी + हिन्दी अर्थ
ॐ घृणि सूर्याय नमः ॥
अर्थ: तेजस्वी (घृणि) सूर्यदेव को नमस्कार — प्रकाश, ऊर्जा व चेतना का आह्वान।
ॐ नमो भगवते सूर्याय आदित्याय भास्कराय नमः ॥
अर्थ: हे भगवन् सूर्य, आदित्य, भास्कर! आपको नमस्कार — जीवनदाता, पाप/रोग‑नाशक।
ॐ सूर्याय नमः ॥
अर्थ: सूर्यदेव को साधारण पर शक्तिशाली प्रणाम‑मंत्र — आरम्भिक साधकों हेतु।
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: हम आदित्य का ध्यान करते हैं, दिवाकर (दिवस के निर्माता) का चिंतन करें; वह सूर्य हमारी बुद्धि को प्रेरित करें।
ॐ भास्कराय विद्महे महाद्युतिकराय धीमहि। तन्नः आदित्यः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: भास्कर (प्रकाशदाता) का ध्यान—वह महा‑तेजस्वी आदित्य हमारी मेधा को जागृत करें।
2) द्वादश‑नाम (सूर्य नमस्कार‑मंत्र)
ॐ मित्राय नमः — सबमें मित्रभाव जागृत करने वाले सूर्य को नमस्कार।
ॐ रवये नमः — जगत को रंजन/उल्लास देने वाले।
ॐ सूराय नमः — प्रकाशमय चेतना स्वरूप।
ॐ भानवे नमः — जो सबमें ज्ञान का ‘भान’ कराते हैं।
ॐ खगाय नमः — जो आकाश में गति करते हैं।
ॐ पुष्णे नमः — पोषण करने वाले।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः — सृष्टि‑बीज, स्वर्णमय गर्भ।
ॐ मरीचये नमः — किरणों द्वारा जीवनदान।
ॐ आदित्याय नमः — अदिति‑पुत्र, आदित्यों में श्रेष्ठ।
ॐ सवित्रे नमः — सृजन प्रेरक देवता।
ॐ अर्काय नमः — आरोग्य‑प्रदाता, औषधि‑तत्त्व।
ॐ भास्कराय नमः — प्रकाश देने वाले।
इन्हें क्रमशः 12 सूर्य‑नमस्कार आसनों/मुद्राओं के साथ उच्चारण करें।
3) सूर्य गायत्री — विविध रूप
सविता‑गायत्री (प्रचलित)
ॐ भूर् भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: हम सबसे श्रेष्ठ, पवित्र तेजस्वी सविता के दिव्य तेज का ध्यान करें; वह हमारी बुद्धि का निर्देशन करे।
आदित्य‑गायत्री
ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि। तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: आदित्य का ज्ञान प्राप्त कर दिवाकर का ध्यान करें; वह सूर्य हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
भास्कर‑गायत्री
ॐ भास्कराय विद्महे महाद्युतिकराय धीमहि। तन्नो आदित्यः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: भास्कर के महतेज का ध्यान कर बुद्धि‑प्रेरणा का निवेदन।
सूर्य‑नारायण गायत्री
ॐ सूर्यनारायणाय विद्महे। सहस्रकिरणाय धीमहि। तन्नः आदित्यः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: सहस्र किरणों वाले सूर्य‑नारायण हमें धर्म/प्रज्ञा में उन्नत करें।
4) बीज‑मंत्र / नवग्रह सूर्य मंत्र
बीज‑मंत्र
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ॥
अर्थ: ह्रां‑ह्रीं‑ह्रौं (बीजाक्षर) से सूर्य‑तत्त्व का आवाहन; मानसिक शक्ति, तेज, आरोग्य में वृद्धि।
जप‑सङ्ख्या: 108 (रविवार/प्रातः)।
नवग्रह सूर्य मंत्र (जप/हवन)
ॐ घृणि सूर्याय नमः ॥
अर्थ: ‘घृणि’ = ताप/तेज; यह मंत्र ग्रह‑संयम और तेज‑वृद्धि का सूचक माना गया है।
हवन‑स्वाहा रूप: ॐ घृणि सूर्याय स्वाहा।
5) अर्घ्य‑मंत्र (जल अर्पण)
ॐ सूर्याय नमः। इदं जलं अर्घ्यं समर्पयामि ॥
अर्थ: हे सूर्यदेव! यह जल‑अर्घ्य आपको समर्पित है — हमारी जड़ता हरकर प्रबुद्ध करें।
ॐ आदित्याय नमः। इदं अर्घ्यं गृहाण॥
अर्थ: हे आदित्य! यह अर्घ्य स्वीकार करें — आयु, आरोग्य और ओज‑तेज प्रदान करें।
टिप: दोनों हथेलियों से जल ढालते हुए सूर्य‑चक्र के समीप दृष्टि रखें; जल पृथ्वी पर गिरे — पाँव पर नहीं।
6) लाभ (Labh / Benefits)
- आरोग्य व ओज‑तेज: प्राणशक्ति/इम्यूनिटी/वाइटैलिटी में वृद्धि; आलस्य‑निवारण।
- मानसिक स्पष्टता: ‘प्रचोदयात्’ — मेधा/एकाग्रता/निर्णय‑क्षमता का विकास।
- आत्मविश्वास‑नेतृत्व: सूर्य‑तत्त्व साहस/आत्म‑प्रतिष्ठा/समत्व प्रदान करता है।
- समय‑अनुशासन: प्रातः‑जप से दिनचर्या क्रमबद्ध; उत्पादकता बढ़ती है।
- ग्रह‑संतुलन: नवग्रह‑साधना में सूर्य‑उपासना मूल; विद्या/राज्य/प्रतिष्ठा में सहायक।
लाभ श्रद्धा + नियमितता + सात्त्विक आचरण पर आधारित हैं; चिकित्सकीय समस्या में चिकित्सक‑सलाह आवश्यक।
7) जप/अर्घ्य‑विधि (सरल)
- स्नान/आसन: पूर्व की ओर मुख; लाल/पीला आसन उत्तम; दीप/धूप (ऐच्छिक)।
- अर्घ्य: ताँबे/स्टील पात्र में जल + लाल पुष्प/अक्षत; ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ 3 बार जपते जल अर्पित।
- जप: सूर्य‑गायत्री 11/27/108; या बीज‑मंत्र 108; द्वादश‑नाम एक‑एक बार/आसन के साथ।
- स्मरण/ध्यान: नेत्रों पर जल की पतली धार से किरणें देखें (सीधे घूरें नहीं); हृदय में सुनहरा तेज कल्पना।
- शान्ति‑पाठ: ‘ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः’; फलाहार/सात्त्विक भोजन।
⏱️ समय: सूर्योदय सर्वोत्तम; रविवार, षष्ठी, रवि‑नक्षत्र, संक्रांति‑दिवस विशेष।
8) नियम‑सुझाव
- सात्त्विक आहार, समय‑पालन, प्रातः चलना/सूर्य‑स्नान (आँखों को सीधे नुकसान न हो—सुरक्षित दूरी/समय)।
- अहिंसा/सत्य/सेवा—दान में अन्न/जल/चश्मे/स्वास्थ्य‑शिविर सहयोग।
- आलस्य/कुंठा घटाने को सूक्ष्म व्यायाम/सूर्य‑नमस्कार 3–12 राऊंड।
9) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. कौन‑सा एक मंत्र अपनाऊँ?
नए साधकों के लिए ॐ घृणि सूर्याय नमः या आदित्य‑गायत्री; समय मिलने पर द्वादश‑नाम।
Q2. क्या रूद्राक्ष/माला अनिवार्य है?
अनिवार्य नहीं; रुद्राक्ष/स्फटिक/तुलसी में से कोई माला ले सकते हैं; स्वच्छता/श्रद्धा सर्वोपरि।
Q3. क्या केवल मानसिक जप चलेगा?
हाँ—मानस जप भी फलदायी; पर उच्चारण सीखना लाभकर है।
Q4. आदित्यहृदयम का पूरा पाठ जोड़ें?
हाँ—आपके संकेत पर हम पूर्ण देवनागरी पाठ + हिन्दी अर्थ इसी पोस्ट में जोड़ देंगे।
10) नोट्स
परंपरा‑सूचक: मंत्रों के पाठ‑रूप/उच्चारण क्षेत्र/ग्रन्थानुसार सूक्ष्म भिन्न हो सकते हैं। अपनी गुरु‑परम्परा के अनुसार समायोजित करें।