Chandra Mantra
चन्द्र मंत्र (पूर्ण संग्रह) — बीज/नवग्रह/गायत्री हिन्दी अर्थ सहित
1) चन्द्र मंत्र — देवनागरी + हिन्दी अर्थ
(पारम्परिक/लोक‑प्रचलित पाठ; क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म भिन्नताएँ मिल सकती हैं। अर्थ—सरल हिन्दी भावार्थ।)
1. चन्द्र बीज मंत्र (Beej Mantra)
2. नवग्रह चन्द्र मंत्र (Paurāṇic Mantra)
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥
3. वैदिक सोम‑मंत्र (संक्षेप जप‑रूप)
4. चन्द्र गायत्री
अमरवर्याय धीमहि
तन्नो शशांकः प्रचोदयात् ॥
5. चन्द्र स्तुति (संक्षेप)
शरणमहं प्रपद्ये शरण्यं सर्वलोकानाम् ॥
6. चन्द्र‑कवच (लघु संरक्षण‑सूत्र)
नेत्रे पातु निशानाथो, कर्णयोः करुणानिधिः ॥
कण्ठे कलानिधिः पातु, हृदि सौम्यो दयानिधिः ॥
7. चन्द्र आरोग्य‑शान्ति प्रार्थना
उच्चारण‑सुझाव: ‘क्ष्र/श्र’ का उच्चारण स्पष्ट करें; जप में लम्बी श्वास, धीमी गति, मन‑दृश्य में श्वेत चन्द्र‑प्रकाश की कल्पना करें।
2) लाभ (Labh / Benefits)
- मनो‑स्थिरता व शान्ति: चन्द्र‑बीज जप से भावनात्मक उतार‑चढ़ाव में संतुलन, अनिद्रा/चिड़चिड़ापन में शान्ति।
- संबंध‑माधुर्य: करुणा, सहानुभूति, कोमलता—परिवार/सम्बन्धों में सौहार्द।
- एकाग्रता/स्मृति: चन्द्र‑गायत्री ध्यान से मन स्वच्छ, अध्ययन‑एकाग्रता में सहायक।
- शरीर की शीतलता: क्रोध‑उग्रता, अति‑उष्ण प्रवृत्तियों में मनोवैज्ञानिक शीतलता का अभ्यास।
- ज्योतिष‑अनुकूलन (परम्परा): जन्मकुण्डली में चन्द्र‑सम्बन्धी अशुभ संकेतों की शान्ति हेतु पारम्परिक उपाय।
लाभ श्रद्धा + नियमित अभ्यास + सात्त्विक जीवन पर आधारित हैं; यह आध्यात्मिक/सांस्कृतिक जानकारी है—चिकित्सकीय परामर्श नहीं।
3) जप/पूजन‑विधि + चन्द्र‑अर्घ्य
- स्नान‑संकल्प: शुद्ध स्थान/वस्त्र; उत्तर/पूर्वाभिमुख बैठें।
- दीप‑ध्यान: घी/तिल का दीप; श्वेत पुष्प/अक्षत; चन्द्र का ध्यान—मस्तक पर शीतल चन्द्र‑किरणें।
- अर्घ्य‑विधि: रौप्य/श्वेत पात्र में जल (वैकल्पिक—दूध की कुछ बूँदें) मिलाकर आकाश में चन्द्र की ओर अर्घ्य दें; जप—ॐ सोमाय नमः।
- माला‑जप: रुद्राक्ष/मोती (मुक्ता) माला—1 माला आरम्भ; साध्य अनुसार 3/5 माला।
- समापन: करुणा‑प्रार्थना, शान्ति‑पाठ—ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।
4) नियम/उपाय (परम्परा‑आधारित)
सात्त्विक आचरण
- दूध/चावल/दही से दान/सेवा (समर्थानुसार)।
- माता‑बहन/वरिष्ठ महिलाओं का मान—चन्द्र‑तत्त्व को पुष्ट करने की परम्परा।
- रात्रि‑जागरण/अतिउत्तेजक मीडिया से दूरी; शयन‑अनुशासन।
ध्यान‑अभ्यास
- श्वेत चन्द्र‑प्रकाश की कल्पना—शीतल श्वास, दीर्घ श्वास‑प्रश्वास।
- ‘मैं शांत हूँ—मैं करुणामय हूँ’—संकल्प जप।
- सोम‑उपासना के साथ जल‑कृतज्ञता (जल‑संरक्षण/सेवा) का संकल्प।
5) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या ‘क्ष्रां/क्ष्रीं/क्ष्रौं’ की जगह ‘श्रां/श्रीं/श्रौं’ बोल सकते हैं?
हाँ—कई परम्पराओं में ‘श्र’ उच्चारण भी मान्य है। गुरु‑परम्परा के अनुसार ही जप करें।
Q2. क्या बिना चन्द्र‑दर्शन के जप चलेगा?
हाँ—संध्या में घर पर दीपक/जल के समक्ष जप कर सकते हैं; दर्शन से मन‑एकाग्रता बढ़ती है।
Q3. कितने दिन में फल मिलेगा?
जप साधना है—फल श्रद्धा, नियमिता और सत्कर्म पर निर्भर है; त्वरित‑फल की अपेक्षा न रखें।
Q4. क्या सोमवार व्रत आवश्यक है?
अनिवार्य नहीं; स्वास्थ्य‑अनुकूल हो तो हल्का सात्त्विक उपवास/फलाहार कर सकते हैं।
Q5. क्या बच्चों/विद्यार्थियों के लिए?
हाँ—कम समय (5–7 मिनट) का शांत जप/ध्यान एकाग्रता व भाव‑संतुलन में सहायक है।
6) नोट्स
परम्परा‑सूचक: चन्द्र‑मंत्रों के पाठ में क्षेत्रानुसार भिन्नताएँ संभव हैं; अपने गुरु‑परम्परा/कुटुम्ब‑रीति को प्राथमिकता दें।