Ram Raksha Stotra
श्री रामरक्षा स्तोत्र (पूर्ण) — हिन्दी अर्थ सहित, लाभ (Labh), जप‑विधि
1) श्रीराम‑परिचय
श्रीराम मर्यादा‑पुरुषोत्तम, धर्म/करुणा/साहस के आदर्श हैं। रामरक्षा स्तोत्र को लोक‑परंपरा में बुढ़कौशिक ऋषि‑प्रणीत माना गया है—यह स्तोत्र साधक के मन‑बुद्धि‑चेतना पर संरक्षण‑भाव (रक्षा/कवच) स्थापित करने का ध्येय रखता है। इसमें श्रीराम‑नाम, श्रीराम‑चरित्र और दिव्य अंग‑रक्षा का भावनात्मक समन्वय है।
भाव सर्वोपरि—सामग्री सीमित होने पर भी श्रद्धा, संयम और सेवा‑भाव से पाठ करें।
2) ध्यान/न्यास (संक्षेप)
3) श्री रामरक्षा स्तोत्र (देवनागरी + हिन्दी अर्थ)
(लोक‑प्रचलित पाठ; क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म भिन्नताएँ संभव। अर्थ साधक‑हित में सहज हिन्दी में।)
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥
सहस्रनाम ततुल्यं, रामनाम वरानने॥
सुग्रीवोऽहम् सदा रामं शरणं यामि राघवम्॥
एकोऽहं चिन्तये नित्यं भूयो भूयः कथं हरिम्॥
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥
लोकनाथस्य हृदयानि तानि संत जनप्रियाणि च॥
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती॥
जिव्हां विद्यानिधिः पातु, कण्ठं भरतवन्दितः॥
करौ सीतापतिर्पातु, हृदयं जामदग्न्यजित्॥
गुह्यं दशरथः पातु, कटिं भरतनन्दनः॥
पादौ विभीषणश्रीमान्, सर्वाङ्गं रघुनायकः॥
संसारेऽस्मिन् भयं घोरं न तेषां विद्यते क्वचित्॥
अन्येऽपि राघवस्यान्ते भक्तानां संनिधिं ययुः॥
स धनं धान्यं पशूं लभते, सततं कीर्तिमाप्नुयात्॥
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्॥
नमामि रघुवीरं तं, दीननाथं दयालुम्॥
4) लाभ (Labh / Benefits)
- मानसिक‑धैर्य: संकट/भय/उतावलेपन में स्थिरता; निर्णय‑क्षमता में संतुलन।
- विवेक‑अनुशासन: मर्यादा‑पुरुषोत्तम आदर्श का अनुसरण—कर्तव्य, संयम, दया।
- आत्म‑रक्षा का संस्कार: ‘कवच’‑भाव से नकारात्मकता/भय पर मनोवैज्ञानिक सुरक्षा‑वृत्ति।
- सामाजिक‑सौहार्द: सत्य‑अहिंसा‑सेवा; घर/समाज में शान्त वातावरण।
लाभ श्रद्धा + अभ्यास + सदाचार पर आधारित—अंध‑विश्वास नहीं, सत्कर्म/अनुशासन से वास्तविक फल।
5) जप‑विधि (दैनिक)
- संकल्प: स्नान के बाद शुद्ध स्थान; राम‑ध्यान—धर्म/साहस/करुणा हेतु।
- आसन‑दीप: पूर्व/उत्तराभिमुख; घी/तेल दीप, धूप, पुष्प/तुलसी, शुद्ध जल; श्रीरामचित्र/श्रीरामनाम।
- मंत्र‑जप:
मुख्य: ॐ श्रीरामाय नमः — 108 बार।
राम तारक मंत्र: श्रीराम जय राम जय जय राम — 108। - स्तोत्र‑पाठ: ऊपर दिया रामरक्षा स्तोत्र शुद्ध/भावपूर्ण उच्चारण से; समयाभाव में 1/3/11 श्लोक चयन।
- आरती‑प्रसाद: ‘आरती श्रीरामायण जी की’/‘श्रीरामचन्द्र कृपालु’ स्तुति; अंत में प्रसाद/जल‑वितरण।
6) नियम‑निषेध व सावधानियाँ
- सात्त्विक आहार‑विचार; कटु‑वाणी/क्रोध/अहं से दूरी।
- नियमितता: प्रतिदिन 5–15 मिनट भी सतत रखें; यात्रा‑पूर्व/महत्त्वपूर्ण कार्य‑पूर्व 1–2 मिनट जप।
- दान‑सेवा: अन्न/वस्त्र/शिक्षा/स्वास्थ्य‑सहाय; सत्य‑अहिंसा‑सेवा का अभ्यास।
7) कथा‑सार/प्रतीक
धनुष‑बाण—कर्तव्य‑संकल्प; सीता‑राम—धर्म‑करुणा का संतुलन; लक्ष्मण—निष्ठा/सेवा; हनुमान—भक्ति/पराक्रम; भरत‑शत्रुघ्न—सहयोग/सभ्यता। ‘रक्षा’‑भाव का आशय मन में अंतर्यामी‑राम की स्मृति से साहस व विवेक जाग्रत करना है।
8) त्वरित सारणियाँ (Quick Tables)
विषय | संक्षेप |
---|---|
उचित समय | प्रातः/संध्या; रामनवमी/नवरात्र/एकादशी/पुष्य‑नक्षत्र इत्यादि में विशेष। |
आवश्यक सामग्री | दीप‑धूप, शुद्ध जल, पुष्प/तुलसी; उपलब्धता अनुसार। |
मुख्य मंत्र | ॐ श्रीरामाय नमः; ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’; ‘सीताराम’। |
आचरण | मर्यादा, सत्य, दया, सेवा, परिश्रम, समय‑पालन। |
लाभ | धैर्य, भय‑निवारण, निर्णय‑स्पष्टता, पारिवारिक सौहार्द। |
9) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या रामरक्षा स्तोत्र का दैनिक पाठ कर सकते हैं?
हाँ—दैनिक एक बार पर्याप्त; संकट/यात्रा से पूर्व विशेष फलदायक।
Q2. क्या उपवास अनिवार्य है?
अनिवार्य नहीं; स्वास्थ्य‑अनुकूल हो तो लघु‑उपवास/सात्त्विक आहार रखें।
Q3. क्या केवल हिन्दी अर्थ पढ़ना पर्याप्त है?
देवनागरी पाठ मुख्य है; पर अर्थ के साथ पढ़ने से मन‑एकाग्रता और समझ बढ़ती है। धीरे‑धीरे शुद्ध उच्चारण सीखें।
Q4. गलत उच्चारण से हानि?
उद्देश्य भाव और एकाग्रता है; सीखते हुए सुधारें—भय न रखें।
Q5. क्या बिना सामग्री केवल पाठ?
हाँ—भाव सर्वोपरि; दीप/जल/पुष्प/तुलसी से सरल पूजा भी पर्याप्त।
10) नोट्स
परंपरा‑सूचक: स्तोत्र/आरती/मन्त्र पाठ में क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म अंतर मिलते हैं। यह पोस्ट भक्त‑प्रचलित रूप का संकलन है। आपके क्षेत्र में जो रूप मान्य है, वही ग्रहण करें।