Navratri Pujavidhi Mantra Labh

नवरात्रि पूजा विधि, मंत्र और लाभ — सम्पूर्ण मार्गदर्शिक

नवरात्रि पूजा विधि, मंत्र और लाभ — सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

घटस्थापना, दैनिक पूजा-विधि, नवदुर्गा के मंत्र, व्रत नियम, कन्या पूजन, हवन और लाभ

🗓️ शारदीय/चैत्र नवरात्रि में उपयोगी 🪔 घर/मंदिर दोनों हेतु 📜 सरल मंत्र

1) नवरात्रि आरंभ, संकल्प और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि वर्ष में दो बार (चैत्र और शारदीय) मनाई जाती है। प्रथमतः घटस्थापना कर संकल्प लिया जाता है। यदि स्थानीय पंडित/पंचांग अनुसार विशेष काल (अभिजित/प्रातःकाल) तय हो तो उसी में स्थापना उत्तम है।

संकल्प संकेत: दाएँ हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर गोत्र/नाम, स्थान, तिथि उच्चारण कर—“देवी-पूजनं शुभं मम परिवारस्य स्वास्थ्य-समृद्धि-शांति-प्राप्त्यर्थं कर्तुमहं करिष्ये” कहें और जल पृथ्वी पर छोड़ दें।
सामग्री सूची (पूजा सामग्रियाँ)
  • कलश (ताँबा/पीतल/मिट्टी), जल, गंगाजल
  • आम/अशोक पत्ते, नारियल, रोली, मौली
  • मिट्टी (अंकुरण हेतु) + जौ/गेहूं
  • सुगंधित पुष्प, दुर्गा प्रतिमा/चित्र
  • घी/तिल का तेल, दीपक, अगरबत्ती
  • कुमकुम/हल्दी/अक्षत, पान-सुपारी
  • फल, मिठाई/खीर, पंचामृत
  • हवन सामग्री (अष्टमी/नवमी हेतु)
  • लाल या पीला कपड़ा (आसन/कवच)
  • शंख/घंटी, कमल-गट्टा (यदि उपलब्ध)
  • दुर्गा सप्तशती/चंडी पाठ की पुस्तक
  • कन्या पूजन सामग्री (चूड़ी/रक्षा-सूत्र)
  • गुलाल/अभिरंग (शोभा हेतु)
  • भोग हेतु—मीठा, सूखे मेवे, नारियल
  • साफ जल/आसन, रूमाल, पात्र

2) घटस्थापना (कलश स्थापना) — विधि व मंत्र

शुद्ध स्थान पर लाल/पीले वस्त्र बिछा कर देवी-आसन स्थापित करें। पात्र में शुद्ध मिट्टी भरकर जौ/गेहूँ बोएँ। इसी पर कलश स्थापित करें। कलश में गंगाजल/शुद्ध जल, पंचरत्न (यदि हों), अक्षत, सुपारी, इत्र की कुछ बूँदें डालें। कलश मुख पर आम/अशोक के 5/7 पत्ते रखें और ऊपर नारियल (लाल वस्त्र/मोली से लिपटा) स्थापित करें।

कलश पूजन मंत्र:
कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः। मूलतो ब्रह्मा तस्य मध्ये मातृगणाः स्मृता:॥
कुक्षौ तु सागराः सर्वे सप्तद्वीपा वसुंधरा। ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेदोऽथर्वणः॥
अंगैश्च सर्वैः सहितो देवः स्थाप्यतां मया।

इसके पश्चात् आवाहन करें—

ॐ अम्बिके! कलशे त्वं संनिधिं कुरु कुरु स्वाहा। ॐ दुर्गे देवि! आवाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि।

नवधान्य/जौ पर सिंचित जल डालकर अंकुरण का संकल्प करें—यह श्री-वृद्धि का सूचक माना जाता है।

3) दैनिक पूजा-विधि (प्रातः—संध्या)

प्रातः क्रम

  1. स्नान–शुद्धि, आसन शुद्धि, आचमन
  2. दीप प्रज्वलन (घी/तिल तेल)
  3. संक्षिप्त ध्यान: “या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता…”
  4. देवी आवाहन, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वसन, आभूषण, गंध–पुष्प–धूप–दीप
  5. मूल मंत्र जप (108/27 माला अनुसार), पाठ
  6. भोग, आरती, क्षमा–याचना, शांति–पाठ

संध्या क्रम

  1. दीप–धूप, पुष्पांजलि
  2. नवदुर्गा स्तुति/कवच/अर्गला–कीलक (यदि समय हो)
  3. आरती और कृतज्ञता प्रार्थना
टिप: परिवार/कार्य के अनुसार समय कम हो तो नवर्ण मंत्र और दुर्गा चालीसा/आरती नियमित करें।

5) मुख्य मंत्र-संग्रह (पूजन, स्तुति, आरती)

नवर्ण (मूल) मंत्र

“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”ऐं (विद्या), ह्रीं (महामाया), क्लीं (आकर्षण/करुणा)। 108, 27, 11, 9 की संख्या में जप करें।

दुर्गा ध्यान/स्तोत्र (संक्षेप)

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥

घण्टा/आरंभ मंत्र

आगच्छ देवि देवेशि स्थाने स्थिर भवाभव। घण्टानिनादेनाह्वयामि त्वाम्

दुर्गा कवच/अर्गला/कीलक (संक्षेप निर्देश)

समय अनुसार सप्तशती के कवच–अर्गला–कीलक का क्रम से पाठ करें। न हो सके तो केवल अर्गला या कवच का अंश पढ़ें।

देवी आरती (जय अम्बे गौरी)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी…” (पूर्ण आरती का पाठ करें; अंत में “कष्ट हरौ, भवदुःख निवारौ…” प्रार्थना)।

समर्पण/क्षमा–याचन

अपराध सहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मातः क्षमस्व परदेवते॥

6) व्रत नियम — क्या करें/क्या न करें

करें ✅

  • सात्त्विक भोजन (फल/दूध/सामक/कुट्टू/साबूदाना)
  • प्रातः/संध्या नियमित दीप–मंत्र–आरती
  • सात्विकता—वाणी, व्यवहार, संकल्प
  • सेवा/दान: अन्न, वस्त्र, कन्या–वृद्ध–गौ सेवा

न करें ❌

  • मद्य–मांस, लहसुन–प्याज, तामसिक भोजन
  • क्रोध, असत्य, परनिंदा, लोभ
  • अनियमितता/अत्यधिक उपवास से शरीर को कष्ट
स्वास्थ्य नोट: गर्भवती/बीमार/वरिष्ठजन चिकित्सकीय सलाह लेकर व्रत का स्वरूप तय करें—फलाहार/एक-सम्भार/नियमित भोजन के साथ जप।

7) अष्टमी/नवमी कन्या पूजन

2, 4, 7 या 9 कन्याओं (और एक लंगूर/बालक) का आदरपूर्वक पूजन करें। पैर धोकर आसन दें, रोली–अक्षत–कुमकुम, रक्षा-सूत्र बाँधें, पुष्प अर्पित करें। पूड़ी–छोले–हलवा (या उपलब्ध सात्त्विक भोजन) परोसें और दक्षिणा/उपहार दें।

कन्या पूजन मंत्र:कुमारिकाभ्यो नमः—आवाहयामि, पूजयामि, नमस्करोमि।

अंत में सभी से आशीर्वाद लेकर समापन करें।

8) दुर्गा हवन — सरल विधि

  1. हवन–कुंड, आम्र-पल्लव/समिधा, घृत, हवन सामग्री, कपूर, जल रखें।
  2. दीपक/कर्पूर से अग्नि प्रज्वलित कर “ॐ अग्नये स्वाहा” 3 आहुति दें।
  3. देवी मंत्र से 11/21/108 आहुतियाँ: “ॐ दुं दुर्गायै स्वाहा” या “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा”
  4. समर्पण आहुति: “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्…”
  5. शांति पाठ/आरती और क्षमा–याचन।
मिश्रण संकेत: हवन सामग्री में तिल, गुड़, नवधान्य, गूगल, लवंग, इलायची, लौंग–गुड़–घी का सरल मिश्रण भी शुद्ध माना जाता है।

9) नवरात्रि के लाभ (आध्यात्मिक/व्यावहारिक)

  • आध्यात्मिक उन्नति: मन–इंद्रिय संयम, साधना की गत्यात्मकता
  • गृह-शांति: नियमित दीप/मंत्र से सकारात्मकता
  • आरोग्य–बल: सात्त्विक भोजन/अनुशासन
  • समृद्धि–वृद्धि: अंकुरित जौ/नवधान्य—वृद्धि का प्रतीक
  • सामाजिक समन्वय: सेवा/दान–सहयोग

10) समस्या–समाधान / FAQs

यदि समय कम हो तो क्या करें?

प्रातः/संध्या दीप, नवर्ण मंत्र के 11/27 जप, पुष्प/प्रणाम और आरती—यही पर्याप्त।

क्या मासिक धर्म में पूजा/व्रत संभव है?

परम्पराएँ भिन्न हैं; स्वास्थ्य/सुविधा अनुसार मानसिक पूजा/स्मरण व सात्त्विकता अपनाएँ, शारीरिक रूप से कठिन विधियाँ टालें।

क्या गैर-शाकाहारी भोजन वर्जित है?

हाँ, नवरात्रि में तामसिक वस्तुएँ (मद्य–मांस, लहसुन–प्याज) त्यागना श्रेष्ठ माना गया है।

दुर्गा सप्तशती कब/कैसे?

दैनिक भागों में/समयानुसार संक्षेप में—कवच, अर्गला, कीलक, अध्याय चयनित कर सकते हैं। समझ न हो तो सरल स्तोत्र/चालीसा करें।

अस्वीकरण: यह धार्मिक–सांस्कृतिक मार्गदर्शिका है। स्थानीय परम्परा/गुरु-मार्गदर्शन सर्वोपरि मानें।

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे

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