Dhanteras Puja Vidhi, Mantra, Benefits

धनतेरस पूजा विधि, मंत्र, लाभ, खरीद-नियम, दीपदान

धनत्रयोदशी/धनतेरस दीपावली का प्रथम दिवस है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी, और कुबेर जी की पूजन-विधि शुभ मानी जाती है। चरणबद्ध पूजा-विधि, मुख्य मंत्र, खरीद-नियम, दीपदान और लाभ

धनतेरस: आरोग्य व समृद्धि का मंगल पर्व

धनतेरस क्या व कब मनाएँ?

धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि के समुद्र-मंथन से प्रकट होने की स्मृति में इस दिन आरोग्यसमृद्धि की कामना की जाती है।

मूल नियम: संध्या के बाद जब प्रदोष कालस्थिर लग्न मिले, वही लक्ष्मी-कुबेर पूजन का उत्तम समय माना जाता है। अपने नगर के पंचांग/कैलेंडर के अनुसार समय देखें।

सामान्य संकेत

  • संध्या–प्रदोष काल: लगभग सूर्यास्त से 1–2 घंटे के भीतर।
  • स्थिर लग्न (वृष/सिंह/वृश्चिक/कुंभ में से जो उपलब्ध हो)।
  • व्यापारिक लेखा-पूजन, बही-खाता, तिजोरी पूजन भी आज ही।

आरोग्य-स्मरण

धन्वंतरि जयंती होने से आज आरोग्य मंत्र और आयुर्वेद दीप जलाना शुभ माना जाता है।

पूजा सामग्री (Samagri)

मुख्य सामग्री
  • साफ़ चौकी, लाल/पीला वस्त्र
  • गणेश-लक्ष्मी व कुबेर की प्रतिमा/चित्र
  • कलश, स्वस्तिक, रोली, अक्षत, कुंकुम
  • पुष्प, माला, धूप-दीप, नैवेद्य (मिष्ठान/खीर)
  • घी/तिल का तेल, रुई के बत्तियाँ, दीये
  • पंचमेवा, इलायची, लौंग
  • मौली (कच्चा सूत), सुपारी, पान-पत्ता
  • इत्र/गुलाल, इमरती/लड्डू
  • चाँदी/तांबे का सिक्का या कमल-गट्टा
  • नए झाड़ू/बर्तन (इच्छानुसार)
हिसाब-किताब व व्यापार पूजन

बही-खाता, तिजोरी, POS/कम्प्यूटर आदि को स्वच्छ करें, स्वस्तिक बनाएँ, हल्दी-कुमकुम चढ़ाएँ और लक्ष्मी-कुबेर का श्री सूक्त या लक्ष्मी अष्टक का पाठ करें।

चरणबद्ध पूजा-विधि (Step-by-Step)

  1. स्थान व शुद्धि: उत्तर/पूर्वमुखी बैठें, चौकी पर लाल/पीला वस्त्र बिछाएँ, स्वस्तिक बनाएं।
  2. आवाहन: गणेश-जी, लक्ष्मी-जी, कुबेर-जी एवं धन्वंतरि-भगवान का ध्यान करें। दीपक/धूप जलाएँ।
  3. स्नान/अभिषेक: प्रतिमाओं पर स्वच्छ जल/गंगा-जल से आचमनात्मक स्नान कराएँ, पुष्प अर्पित करें।
  4. आसन/अर्पण: रोली-अक्षत, पुष्प, सुगंध, दीप, नैवेद्य क्रमशः चढ़ाएँ।
  5. मंत्र-जप: नीचे दिये गए मंत्र-संग्रह में से कुबेर-मंत्रलक्ष्मी-मंत्र का जप करें (कम-से-कम 11/21 बार)।
  6. श्रीसूक्त/कनकधारा पाठ: समय हो तो एक सम्पूर्ण पाठ करें।
  7. आरती: लक्ष्मी-जी, गणेश-जी की आरती करें; परिवार सहित पुष्पांजलि।
  8. आभार व क्षमा-याचना: स्तुति/प्रार्थना के साथ पूजा समाप्त करें और प्रसाद वितरित करें।
ध्यान दें: तेल/घी का दीपक पूजन के समय दाहिनी ओर रखें; यथाशक्ति दान करें—विशेषकर दीपदान।

मंत्र संग्रह (Lakshmi • Kuber • Dhanvantari)

श्री गणेश ध्यान/मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः। (11/21 बार)

महालक्ष्मी बीज-मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः। (11/21/108)

श्री सूक्त (संक्षेप में प्रारम्भिक ऋक)

हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्…” — समयानुसार श्रीसूक्त का पूर्ण पाठ करें या कम से कम प्रारम्भिक/समाप्ति ऋचाएँ पढ़ें।

कुबेर मंत्र

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये नमः॥ (11/21/108)

धन्वंतरि मंत्र (आरोग्य-सिद्धि हेतु)

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वामय विनाशनाय नमः॥ (11/21)

आरती (लक्ष्मी जी)

ॐ जय लक्ष्मी माता…” — पारम्परिक आरती पूरी करें, अंत में शांति-पाठ।

दीपदान व यमदीप

यमदीपदान धनतेरस की संध्या/रात्रि में द्वार के बाहर, दक्षिण दिशा की ओर एक दीपक जलाकर किया जाता है। मान्यता है कि इससे अकाल-मृत्यु दोष से रक्षा होती है।

  • दीपक में तिल/सरसों का तेल व रुई की बत्ती रखें।
  • दीपक को किसी ईंट/पक्के स्थान पर वायुरोधक ढंग से रखें।
  • दीप बुझने न दें; सुरक्षित स्थान व अग्नि-सावधानी आवश्यक।

धनतेरस पर क्या खरीदें?

शुभ खरीद

सोना/चाँदी तांबे/पीतल के बर्तन स्टील/किचनवेयर झाड़ू दीये/रोशनी धन/अन्न दान

टिप: बर्तन/आभूषण पर स्वस्तिक बनाकर चावल/रोली से स्पर्श करें, फिर घर में प्रवेश कराएँ।

ध्यान रखें

  • अनावश्यक ऋण लेकर खरीदारी न करें—संयम सर्वोपरि।
  • कीमती धातु खरीदते समय शुद्धता-माप/हॉलमार्क जाँचें।
  • बही-खातों का लेखा-पूजन आज ही करें।

लाभ (पारम्परिक मान्यताएँ)

  • देवी लक्ष्मी की कृपा व आर्थिक-समृद्धि की कामना।
  • कुबेर-पूजन से धन-संवर्धन व संचित संपदा का संरक्षण।
  • धन्वंतरि-स्मरण से आरोग्य, दीर्घायु व आयुर्वेद-अनुग्रह की भावना।
  • दीपदान/दान-धर्म से पुण्य-वृद्धि व नकारात्मकता का क्षय।

लाभ आध्यात्मिक/सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित हैं—व्यक्तिगत श्रद्धा, संकल्प और सत्कर्म प्रधान हैं।

सावधानियाँ

  • अग्नि-सुरक्षा रखें; दीयों को बच्चों/पालतू से दूर रखें।
  • धातु/आभूषण खरीदते समय बिल व हॉलमार्क अवश्य लें।
  • गृह-मंदिर/पूजा-स्थान स्वच्छ व हवादार रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धनतेरस पर मुख्यतः किसका पूजन करें?
लक्ष्मी-कुबेर के साथ भगवान धन्वंतरि और गणेश-जी का पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है।
कौन-सा दीपक जलाएँ?
घी/तिल के तेल का दीपक; यमदीप दक्षिण दिशा में, गृह-दीप पूर्व/उत्तर दिशागत रखें।
क्या अनिवार्य रूप से सोना खरीदना चाहिए?
अनिवार्य नहीं। सामर्थ्य अनुसार स्टील/पीतल/मिट्टी के दीये या दान भी उतने ही शुभ माने जाते हैं।
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