Mangal Mantra

मंगल (भौम/अंगारक/कुज) मंत्र हिन्दी अर्थ सहित, लाभ, पूजन‑विधि, उपाय

मंगल (भौम/अंगारक/कुज) मंत्र हिन्दी अर्थ सहित, लाभ, पूजन‑विधि, उपायि

1) मंगल मंत्र (पूर्ण संकलन) — देवनागरी में हिन्दी अर्थ सहित

(मंगल = भौम/अंगारक/कुज; पारम्परिक/लोक‑प्रचलित पाठ; क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म भिन्नताएँ संभव।)

1. मंगल बीज मंत्र

ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः ॥
अर्थ: हे भौम (मंगल), क्रां‑क्रीं‑क्रौं शक्ति के स्वामी! आपकी शरण में; आपसे साहस, संकल्प‑बल और विवेक प्राप्त हो।

जप‑संख्या: 108 (विशेष साधना: 324/1008)। दिशा: पूर्व/दक्षिण‑पूर्व। आसन: लाल/कुश। माला: रुद्राक्ष/कोरल।

2. नवग्रह मंगल मंत्र (स्तोत्र‑पंक्ति)

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥
अर्थ: जो पृथ्वी के गर्भ से प्रकट हुए, विद्युत‑सी आभा वाले, शक्तिधारी कुमार‑स्वरूप हैं—ऐसे मंगलदेव को मैं प्रणाम करता हूँ।

उच्चारण‑सहाय: ध‑र‑णी‑गर्भ‑सम्भूतं | विद्युत्‑कान्ति‑सम‑प्रभम् | कुमारं | शक्ति‑हस्तं | मङ्गलं | प्रण‑माम्य‑हम्।

3. मंगल गायत्री मंत्र

ॐ अंगारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि ।
तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: हम अंगारक (मंगल) देव का ध्यान करें, जो शक्ति‑हस्त हैं; वे भौमदेव हमारे बुद्धि‑बल को प्रेरित करें।

4. मंगल नमस्कार/स्तुति (लघु)

नमो भौमाय मान्याय रक्ताम्बरधारिणे ।
रक्तगन्धानुलेपाय नमः शक्तिधराय च ॥
अर्थ: लाल वस्त्रधारी, लाल चन्दन से सुगन्धित, शक्ति‑धारी मंगलदेव को नमस्कार।
रक्तपुष्पप्रियं देवं रक्तचन्दनभूषितम् ।
रक्तगन्धं प्रियो भौमो रक्तवर्णं नमाम्यहम् ॥
अर्थ: लाल‑पुष्प, लाल‑चन्दन प्रिय; रक्तवर्णी प्रभु भौम को नमन।

5. मंगल पीड़ा‑शमन प्रार्थना (भावार्थ सहित)

भौमदेव त्राहि मां क्रोध‑रोग‑ऋणादिभ्यः ।
धैर्यं देहि शक्तिं देहि विजयं देहि मे प्रभो ॥
अर्थ: हे भौमदेव! क्रोध, रोग, ऋण और बाधाओं से रक्षा करें; धैर्य‑शक्ति दें, सत्कर्म में विजय दें।

(यह प्रार्थना लोक‑रचना है—सरल हिन्दी/संस्कृत मिश्रित; इच्छानुसार जोड़ें।)

6. मंगल शान्ति‑पाठ (समापन)

ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
अर्थ: देह‑मन‑पर्यावरण—तीनों स्तरों में शान्ति हो।

2) लाभ (Labh / Benefits)

  • साहस व निर्णायक‑शक्ति: बीज मंत्र से मन‑बल, त्वरित निर्णय, कार्य‑ऊर्जा में वृद्धि।
  • क्रोध‑नियन्त्रण: मंगल की अग्नि को अनुशासन में लाने से धैर्य, संयम और शान्ति।
  • स्वास्थ्य/उत्साह: नियमित जप से जड़ता घटे, दिनचर्या में अनुशासन बढ़े।
  • कर्मठता व सुरक्षा‑भाव: ‘शक्तिहस्त’ भाव—कर्त्तव्य‑निष्ठा, सुरक्षा‑साहस का विकास।
  • ऋण‑मुक्ति/वित्त‑संतुलन: संयमित व्यय, परिश्रम व सत्कर्म की प्रेरणा—व्यावहारिक लाभ।

नोट: लाभ श्रद्धा + नियमित अभ्यास + नैतिक आचरण से प्रकट होते हैं; मंत्र स्वयं‑सहाय है—भाग्य का स्थानापन्न नहीं।

3) जप/पूजन‑विधि (सरल, घर पर)

  1. स्नान‑संकल्प: स्वच्छ वस्त्र, पूर्व/दक्षिण‑पूर्व की ओर आसन।
  2. दीप‑ध्यान: तिल/घी का दीप; दीपक के सामने 1–3 मिनट श्वास‑ध्यान।
  3. शुद्धि‑मंत्र: तीन बार “ॐ अपवित्रः पवित्रो वा…” या ‘ॐ नमः शिवाय’ 11 बार।
  4. गुरु‑वन्दन/ईष्ट‑स्मरण: माता‑पिता/गुरु/शिव‑नमन, फिर मंगल‑ध्यान।
  5. मुख्य जप: ऊपर के किसी एक मंत्र का 108 जप; व्रत/विशेष में 324/1008।
  6. समर्पण‑शान्ति: फल‑आसक्ति छोड़ें; “ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः”।
समय‑सुझाव: मंगलवार/भौम‑प्रदोष (सूर्यास्त के बाद) विशेष; पर दैनिक प्रातः/संध्या भी उचित।
आहार‑अनुशासन: मसूर‑लाल, गुड़, चना दाल जैसे सात्त्विक दान/भोजन उपयोगी; व्यसन/अत्यधिक तीखा/क्रोध से दूरी।

4) उपाय/दान/अनुशासन (व्यावहारिक)

विषयसुझावटिप्पणी
दान (मंगलवार)लाल वस्त्र, मसूर दाल, गुड़, ताँबा/ताम्र‑पात्र, लाल पुष्पजरूरतमंद/मंदिर/गौशाला को
उपवास/सयमलघु‑उपवास/सात्त्विक आहार, नमक‑संयमस्वास्थ्य अनुसार
सेवारक्तदान/रक्त‑जागरूकता, सुरक्षा‑कर्मी/सेनानियों का सम्मानमंगल = साहस/रक्त/रक्षा‑भाव
वस्त्र/रंगमंगलवार को साफ लाल/मरून परिधानप्रतीकात्मक—अनिवार्य नहीं
वर्जनक्रोध, जल्दबाज़ी, कटु‑वाणी, हिंसामंत्र‑जप के विपरीत प्रभाव घटते हैं

5) मंगल‑विनायक/हनुमान प्रार्थना (संक्षेप)

(मंगल से सम्बद्ध शुभत्व हेतु शिव/गणेश/हनुमान का स्मरण किया जाता है; संक्षेप प्रार्थना नीचे—अपनी परम्परा की पूरी आरती गाएँ/पढ़ें)

ॐ नमो भगवते रुद्राय ॥
ॐ गं गणपतये नमः ॥
ॐ हनुमते नमः ॥
अर्थ: विघ्न‑निवारण, साहस और संयम के लिए शिव, गणेश और हनुमान को नमस्कार।

6) सामान्य प्रश्न (FAQ)

Q1. क्या ‘बीज मंत्र’ सबके लिए ठीक है?

हाँ—सामान्य साधक के लिए सरल और सुरक्षित माना जाता है। दीर्घ साधना/विशेष अनुष्ठान में गुरु‑मार्गदर्शन उचित।

Q2. क्या केवल मंगलवार को ही जप करें?

नहीं—दैनिक भी कर सकते हैं। मंगलवार/भौम‑प्रदोष और सुबह/सन्ध्या विशेष माने जाते हैं।

Q3. कितनी देर में फल मिलेगा?

मंत्र अनुशासन और दृष्टिकोण को सुधारता है; फल व्यक्ति‑व्यक्ति व परिस्थिति पर निर्भर है। नियमितता सर्वोपरि।

Q4. क्या जप करते समय लाल चीज़ें अनिवार्य हैं?

नहीं—प्रतीकात्मक हैं। स्वच्छता, संयम और करुणा अधिक महत्वपूर्ण।

7) नोट्स

परम्परा‑सूचक: मंत्र‑पाठ में लघु वैदिक/लौकिक भेद सम्भव हैं; अपने गुरु/परम्परा के उच्चारण को प्राथमिकता दें।

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