Budh Mantra
बुध मंत्र हिन्दी अर्थ सहित लाभ, जप‑विधि, उपाय, दान/रंग/रत्न, नियम/निषेध
1) मुख्य बुध मंत्र — देवनागरी पाठ + हिन्दी अर्थ
(लोक‑प्रचलित/परम्परागत पाठ; क्षेत्र/ग्रन्थानुसार सूक्ष्म भेद सम्भव। उच्चारण सीखते समय भाव और स्पष्टता रखें।)
1. बुध बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥
अर्थ: प्रणव ‘ॐ’ के साथ ‘ब्रां‑ब्रीं‑ब्रौं’ बीजों द्वारा ‘सः’ तत्त्व वाले बुध देव को नमन—बुद्धि, वाणी, व्यापार‑कौशल एवं विवेक का आह्वान।
2. वैदिक/नवग्रह‑बुध मंत्र
प्रियङ्गु‑कलिकाश्यामं रूपेणा प्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥
अर्थ: प्रियंगु पुष्प‑कली समान श्याम वर्ण, अप्रतिम रूप वाले, सौम्य स्वभाव व सौम्य गुणों से युक्त बुध देव को मैं प्रणाम करता हूँ।
3. बुध गायत्री मंत्र
ॐ बुधाय विद्महे सौम्यदेहाय धीमहि ।
तन्नः सौमः प्रचोदयात् ॥
तन्नः सौमः प्रचोदयात् ॥
अर्थ: हम बुध देव के दिव्य सौम्य देह का ध्यान करते हैं; वह सौम्य (बुध) हमारे बुद्धि‑विचार को प्रेरित करें।
4. बुध स्तोत्र‑पद (लघु)
बुधं चन्द्रसुतं देवमेकं वरदमेव च ।
विद्याबुद्धि‑प्रदं शान्तं नमामि शशिनन्दनम् ॥
विद्याबुद्धि‑प्रदं शान्तं नमामि शशिनन्दनम् ॥
अर्थ: चन्द्रपुत्र, वरदान देने वाले, विद्या‑बुद्धि के दाता व शान्तस्वरूप शशिनन्दन बुध को नमस्कार।
5. बुध शान्ति/न्यूनता‑क्षमता मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे । ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः ॥
अर्थ: सरस्वती/चामुण्डा बीजों से वाक्‑शक्ति जाग्रत कर, बीज‑बुध मंत्र से बुद्धि‑वाणी‑विपणन बल की द्योति; (यह समाहित जप उदीयमान विद्यार्थियों/वक्ता/विक्रेताओं हेतु लोकप्रिय है)।
उच्चारण‑सहाय: ब्रां = brāṃ, ब्रीं = brīṃ, ब्रौं = brauṃ; बुधाय = budhāya। नासिक्य ‘ँ’ का स्पर्श हल्का रखें, जप धीमे व स्पष्ट।
2) बुध ध्यान/स्तुति — संस्कृत पाठ + हिन्दी भाव
नीलाम्बरधरं शान्तं कर्पूर‑वर्णसमप्रभम् ।
कदम्ब‑कुसुमप्रख्यं वन्दे बुद्धिप्रदं बुधम् ॥
कदम्ब‑कुसुमप्रख्यं वन्दे बुद्धिप्रदं बुधम् ॥
भावार्थ: नीलाम्बर धारी, शान्त, कर्पूर‑समान उज्ज्वल, कदम्ब‑कुसुम के समान मनोहर—ऐसे बुद्धि‑प्रदाता बुध को वन्दन।
हस्ते वीणां पाशं च पुस्तकं मेखलां तथा ।
विन्यस्य स्फटिकप्रख्यं ध्यायामि शशिनन्दनम् ॥
विन्यस्य स्फटिकप्रख्यं ध्यायामि शशिनन्दनम् ॥
भावार्थ: जिनके करकमलों में वीणा, पाश, पुस्तक, मेखला (विद्या/वाक्/नियंत्रण/अनुशासन के प्रतीक) हैं—ऐसे चन्द्रनन्दन का ध्यान।
3) बुध कवच (संक्षेप पाठ + भावार्थ)
बुधो मे शिरः पातु, ललाटं शशिनन्दनः ।
नेत्रे सौम्यः सदाऽव्यात्, कर्णौ मे रोहिणीसुतः ॥
नेत्रे सौम्यः सदाऽव्यात्, कर्णौ मे रोहिणीसुतः ॥
भावार्थ: बुध देव मेरा मस्तक रक्षित करें; शशिनन्दन ललाट की रक्षा करें; सौम्य देव नेत्रों की और रोहिणीसुत कानों की रक्षा करें… (इसी क्रम में ग्रीवा/हृदय/नाभि/हस्त/पाद/सर्वाङ्ग‑रक्षा)।
वक्त्रं मे वाक्पति रक्षेत्, हृदि सौम्यः सदाऽवतु ।
नाभौ बुद्धिप्रदो देवो, पादौ पातु सुधीपतिः ॥
नाभौ बुद्धिप्रदो देवो, पादौ पातु सुधीपतिः ॥
भावार्थ: वाणी के स्वामी मुख की, सौम्य देव हृदय की; बुद्धि‑दाता नाभि की, और सु‑धियों के स्वामी पादों की रक्षा करें।
कवच‑पाठ को आप बीज‑मंत्र से प्रारम्भ/समाप्त कर सकते हैं।
4) लाभ (Labh / Benefits)
- बुद्धि‑विवेक: तर्क, विश्लेषण, गणित, लेखा‑व्यवस्था में प्रगति।
- वाणी/संचार कौशल: वक्तृत्व, लेखन, मार्केटिंग, पब्लिक‑स्पीकिंग में निखार।
- व्यापार/लेन‑देन: सौदे‑बाजी में स्पष्टता; अनुबंध/डील में सावधानी‑सफलता।
- शिक्षा/विद्यार्थी‑हित: स्मरण‑शक्ति, एकाग्रता, परीक्षा‑विश्वास में वृद्धि।
- मानसिक शान्ति: चंचलता/दुविधा/अनिर्णय में संतुलन व सौम्यता।
नोट: फल नियमित जप + सत्कर्म + व्यावहारिक प्रयास से प्रकट होते हैं।
5) बुध मंत्र जप/पूजन‑विधि (सरल)
- दिशा/आसन: पूर्व/उत्तर की ओर मुख; हरा/कुश/कंबल आसन।
- पूजन सामग्री: घी/तिल का दीप, हरा पुष्प/पान/तुलसी, दूर्वा; यदि संभव हो तो हरे वस्त्र/अंगवस्त्र।
- ध्यान: ऊपर दिये ध्यान‑श्लोक का 1–3 बार मनन।
- मूल‑जप: ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः — 108 जप (न्यूनतम 9/27/54 भी कर सकते हैं)।
- गायत्री/स्तोत्र: 11/21 बार बुध गायत्री; 1 बार स्तोत्र/कवच।
- समापन: शान्ति‑पाठ—“ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः”; प्रार्थना: “हे सौम्यदेव! वाणी‑विवेक दें, दम्भ हटाएँ।”
⏱️ समय‑सुझाव: बुधवार प्रातः/संध्या; शुक्ल पक्ष; प्रदोष। प्रतिदिन भी कर सकते हैं।
6) सरल उपाय (गृहस्थ‑सुलभ)
वाणी/संचार हेतु
- हर बुधवार हरे मूँग (ना पकाकर) गाय/पक्षियों को दान।
- छोटों से सौम्य भाषा; कटु‑वाणी/झूठ से परहेज।
- भाषा‑अभ्यास: प्रतिदिन 10 मिनट वाचन/लिखन।
व्यापार/लेखा‑लाभ हेतु
- व्यावसायिक दस्तावेज़ बुधवार को व्यवस्थित/समाप्त करें।
- बुजुर्ग‑विद्वानों का सम्मान; गुरुदक्षिणा/पुस्तक‑दान।
- अनुबंध पढ़े बिना हस्ताक्षर न करें—विवेक = बुध।
यह आध्यात्मिक/सांस्कृतिक सुझाव हैं; चिकित्सकीय/वित्तीय सलाह नहीं।
7) दान • रंग • रत्न • आहार
विषय | परम्परा‑सूचक | टिप्पणी |
---|---|---|
रंग | हरा/पीत‑हरित | वस्त्र/आसन/फूल में समावेश |
धातु | काँसा/ब्राँज | दीप/थाली/घण्टा |
रत्न | पन्ना (Emerald) | ज्योतिषीय सलाह लेकर ही धारण करें |
दान | हरे मूँग, साबुत धनिया, पान/तुलसी, पुस्तक/कलम | बुधवार/शुक्ल पक्ष में |
आहार | हरित शाक/फल | सात्त्विक भोजन, मधुर वाणी |
8) नियम‑निषेध
- जप से पूर्व गणेश स्मरण; स्वच्छ/सात्त्विक वेश।
- झूठ/चुगली/कटु‑वचन का परित्याग—यही वास्तविक बुध‑उपासना।
- रात में भारी/तामसिक भोजन न्यून रखें; मन स्थिर करें।
- धन/संवाद से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता—विवेक व सत्य।
9) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. यदि उच्चारण सही न हो?
भाव सर्वोपरि; धीरे‑धीरे सही उच्चारण सीखें। ब्रां‑ब्रीं‑ब्रौं का अनुनासिक उच्चारण हल्का रखें।
Q2. क्या विद्यार्थी/IT/सेल्स के लिए उपयोगी?
हाँ—बुध बुद्धि/वाणी/लेखा/वाणिज्य/संवाद का अभिभावक माना जाता है; नियमित साधना + अभ्यास लाभ देती है।
Q3. कितने दिन में फल?
यह साधना है—नियमितता/सद्भाव/व्यावहारिक प्रयास पर निर्भर। प्रायः 21/40 दिन के अनुशासन से स्पष्टता आती है।
10) नोट्स/अस्वीकरण
परम्परा‑भेद: मंत्र‑वाक्य/छन्द विभिन्न ग्रन्थों/सम्प्रदायों में सूक्ष्म भेद के साथ मिलते हैं। अपनी गुरु‑परम्परा को प्राथमिकता दें।