Shiv Stotra Ratnakar Book
शिव स्तोत्र रत्नाकर Book - शिव स्तोत्रों का समृद्ध संकलन
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1) श्री शिवमहिम्न स्तोत्र (संक्षेप अर्थ सहित)
महिम्नः पारं ते…
अर्थ: शिव‑महिमा वाणी/मन से परे है; फिर भी भक्त भाव से स्तुति करते हैं।
त्रयी साङ्ख्यं योगः… नृणामेको गम्यः त्वमसि पयसामर्णव इव॥
अर्थ: मार्ग अनेक—गन्तव्य एक (शिव); जैसे नदियाँ सागर में मिलती हैं।
2) रुद्राष्टकम (गोस्वामी तुलसीदास) — देवनागरी + हिन्दी अर्थ
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्गुणं निर्विकल्पं
निर्लेपं परं ब्रह्म रामं भजेऽहम् ॥ 1 ॥
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्गुणं निर्विकल्पं
निर्लेपं परं ब्रह्म रामं भजेऽहम् ॥ 1 ॥
अर्थ: शम्भु को नमस्कार—जो निर्वाणरूप, सर्वव्यापक, ब्रह्मस्वरूप, निर्गुण‑निर्विकल्प हैं; मैं उस परब्रह्म का भजन करता हूँ।
…
प्रभो शूलपाणे सुरेशं सुरारिं
त्रिलोकीनिवासं तमीडे भवानि ।
भवानीपतिं भावगम्यं भवेशं
भजामि प्रभुं विश्वनाथं महेशम् ॥ 8 ॥
त्रिलोकीनिवासं तमीडे भवानि ।
भवानीपतिं भावगम्यं भवेशं
भजामि प्रभुं विश्वनाथं महेशम् ॥ 8 ॥
अर्थ: हे शूलपाणि! त्रिलोकीनाथ, विश्वनाथ, महेश—आपको मैं भजता हूँ।
3) शिव ताण्डव स्तोत्रम् (रावणकृत) — देवनागरी + भावार्थ
जटाटवीगलज्जल प्रवाह पावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ 1 ॥
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुंगमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ 1 ॥
भावार्थ: शिव की जटाओं से बहती गंगा, कण्ठ में सर्पमाल, डमरू‑निनाद और उग्र ताण्डव—ऐसे शिव हमारे कल्याण का हेतु हों।
4) लिङ्गाष्टकम् — देवनागरी + हिन्दी अर्थ
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिङ्गं
निर्मलभासित शोभित लिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशक लिङ्गं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 1 ॥
निर्मलभासित शोभित लिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशक लिङ्गं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 1 ॥
अर्थ: ब्रह्मा‑विष्णु‑देवताओं द्वारा पूजित, निर्मल‑प्रकाश से शोभित, जन्म‑जरा‑दुःख का विनाशक सदाशिव‑लिङ्ग को प्रणाम।
5) शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् — (न + म + शि + वा + य)
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥
अर्थ: नागेन्द्र‑हार, त्रिलोचन, भस्मलेपित, महेश्वर, नित्य‑शुद्ध, दिगम्बर—इन गुणों वाले शिव को ‘न’ अक्षर सहित नमस्कार। (इसी प्रकार ‘म, शि, वा, य’ अक्षरों पर श्लोक)
6) बिल्वाष्टकम् — देवनागरी + भावार्थ
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम्
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवर्पणम् ॥ 1 ॥
त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवर्पणम् ॥ 1 ॥
अर्थ: त्रिगुणात्मक, त्रिनेत्र‑धारी शिव को बिल्वपत्र अर्पित—जो जन्म‑जन्म के पाप हरता है। (2–8 श्लोक)
7) श्री शिव‑मानस‑पूजा — शंकराचार्य
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं
नानारत्नविभूषणं मृगमदं गन्धानुलेपं तथा ।
जतिचम्पक बिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देवलोकेश! घृतविधृतं नैवेद्यं च नैवेद्यकम् ॥
नानारत्नविभूषणं मृगमदं गन्धानुलेपं तथा ।
जतिचम्पक बिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा
दीपं देवलोकेश! घृतविधृतं नैवेद्यं च नैवेद्यकम् ॥
भावार्थ: मन में शिव के लिए रत्न‑सिंहासन, हिम‑जल‑स्नान, दिव्य वस्त्र‑आभूषण, सुगन्ध, पुष्प‑धूप‑दीप‑नैवेद्य अर्पित करें—भाव ही पूजा है।
8) ध्यान/शान्ति‑मन्त्र
शिव ध्यान
करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा…
भाव: त्रिकाल में हुए दोषों का क्षमायाचन और अंतःकरण की शुद्धि।
शान्ति‑पाठ
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः… ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
9) लाभ (Labh / Benefits)
- आन्तरिक शान्ति व निर्भयता: ताण्डव/श्मशान‑विहार के प्रतीकों से अहं‑भीति का क्षय।
- वैराग्य‑विवेक: भस्म, बिल्व, पंचाक्षर—अनित्यता और अनुशासन का अभ्यास।
- समत्व व करुणा: महिम्न/मानस‑पूजा—मार्ग अनेक, भाव एक; सेवा‑भाव जागृत।
- कठिन समय में धैर्य: नीलकण्ठ‑भाव—नकारात्मकता का रूपान्तरण।
- समृद्धि‑कल्याण: रुद्राष्टक/बिल्वाष्टक के फल‑वचन—लोक‑परलोक कल्याण का संकेत।
लाभ श्रद्धा + नियमित अभ्यास + सत्कर्म पर आधारित हैं।
10) जप/पूजन‑विधि (सरल)
- संकल्प: स्नान‑शुद्धि, शान्ति/विवेक हेतु संकल्प।
- दीप‑ध्यान: घी/तिल का दीप; ‘ॐ नमः शिवाय’ 108 जप।
- स्तोत्र‑पाठ: ऊपर दिये किसी एक/एकाधिक स्तोत्र का चयन कर नियमित पाठ।
- आरती‑प्रसाद: ‘ओं जय शिव ओंकारा’; जल/फल नैवेद्य; शान्ति‑पाठ।
⏱️ समय: दैनिक प्रातः/संध्या; सोमवार/प्रदोष/महाशिवरात्रि में विशेष।
11) मंत्र‑सूची
पञ्चाक्षरी
ॐ नमः शिवाय (108)
महामृत्युंजय
ॐ त्र्यंबकं यजामहे… माऽमृतात् ॥
शिव‑गायत्री
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे… प्रचोदयात् ॥
12) शिव आरती (संक्षेप)
ॐ जय शिव ओंकारा… (अपने क्षेत्र में प्रचलित पूर्ण आरती गाएँ/पढ़ें)
13) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या मैं सब स्तोत्र रोज़ पढ़ूँ?
समयानुसार 1–2 स्तोत्र चुनें; सप्ताहान्त/सोमवार को विस्तृत पाठ करें।
Q2. क्या उपवास आवश्यक है?
अनिवार्य नहीं; स्वास्थ्य‑अनुकूल हो तो लघु‑उपवास/सात्त्विक आहार।
Q3. क्या बिना सामग्री केवल पाठ?
हाँ—भाव सर्वोपरि; दीप/जल/बिल्व‑स्मरण से भी पूजा पर्याप्त।