Rinharta Ganesh Stotra
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र (ऋणमोचन/ऋणविमोचन) पूर्ण श्लोक + हिन्दी अर्थ
1) ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र — सभी श्लोक देवनागरी में हिन्दी अर्थ सहित
(लोक‑प्रचलित पाठ; क्षेत्र/मुद्रणानुसार सूक्ष्म भिन्नताएँ संभव। अर्थ—सरल हिन्दी भावार्थ; उच्चारण में त्रुटि हो तो भी भय न रखें, भाव सर्वोपरि है।)
॥ ध्यान ॥
ब्रह्मादि‑देवैः परि‑सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥
॥ मूल‑पाठ ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
सदैव पार्वती‑पुत्रः ऋण‑नाशं करोतु मे ॥
एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहितः ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत् ॥
2) लाभ (Labh / Benefits)
- ऋण‑कष्ट से मुक्ति का संकल्प: नियमित पाठ से मानसिक दबाव घटता है, साहस व स्पष्टता बढ़ती है—व्यवहारिक निर्णय बेहतर होते हैं।
- विघ्नों का क्षय: गणेश‑पूजन से कार्य‑सिद्धि, विलम्ब/रुकावटें कम—आय के मार्ग खुलते हैं।
- समृद्धि‑चेतना: ‘कुबेर‑समता’ का संकेत—परिश्रम + संयम + सदुपयोग की वृत्ति विकसित।
- चित्त‑शुद्धि व धैर्य: बीज‑मंत्र जप के साथ स्तोत्र‑पाठ से नकारात्मकता कम, प्रयासों में स्थिरता।
नोट: आध्यात्मिक लाभ अभ्यास से फलित होते हैं; आर्थिक निर्णयों में यथार्थ‑योजना/सलाह आवश्यक रखें।
3) जप/पूजन‑विधि (सरल)
- संकल्प: स्नान के बाद शुद्ध आसन; ऋण‑मुक्ति, परिश्रम, सत्य‑व्यवहार हेतु संकल्प लें।
- दीप/नैवेद्य: घी/तिल का दीप; मोदक/गुड़/दूर्वा/लाल पुष्प; स्वच्छ जल से अर्घ्य।
- मंत्र‑जप: ॐ गं गणपतये नमः — 108 बार।
- स्तोत्र‑पाठ: ऊपर दिये ध्यान‑श्लोक के साथ सम्पूर्ण स्तोत्र; अर्थ पढ़ते हुए मन में धारण करें।
- आरती‑प्रार्थना: “जय गणेश जय गणेश…”; अंत में शान्ति‑पाठ—“ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः”。
4) मंत्र‑सूची
बीज‑मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः (108)
गणेश गायत्री
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि । तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
विघ्नहरण मंत्र
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
5) गणेश आरती (संक्षेप)
6) नियम‑सुझाव
- सात्त्विक आहार‑विचार; असत्य/आलस्य/अव्यसनी प्रवृत्ति से दूरी।
- आय‑व्यय का लेखा रखें; विलास/आवेगपूर्ण खर्च टालें—इसी को साधना से बल मिलता है।
- सेवा/दान—अन्न/वस्त्र/विद्या‑सहाय; वृक्षारोपण; परिश्रम व करुणा।
7) सामान्य प्रश्न (FAQ)
Q1. कर्ज कब तक उतरने की आशा रखें?
यह स्तोत्र मनोबल/अनुशासन बढ़ाता है—साथ में व्यावहारिक योजना (बजट, अतिरिक्त आय, कर्ज‑पुनर्गठन) अपनाएँ।
Q2. क्या उपवास आवश्यक है?
अनिवार्य नहीं; स्वास्थ्य‑अनुकूल हो तो लघु‑उपवास/सात्त्विक आहार रखें।
Q3. केवल अर्थ पढ़ना ठीक है?
देवनागरी मूल‑पाठ सर्वोत्तम; अर्थ से समझ पुष्ट होती है—धीरे‑धीरे उच्चारण सीखें।
Q4. भूल/उच्चारण गलत हो जाए तो?
भाव सर्वोपरि; सीखते हुए सुधारें—भय न रखें।
8) नोट्स
परंपरा‑सूचक: पाठ‑रूप में सूक्ष्म भेद मिल सकते हैं; अपने गुरु/परम्परा में प्रचलित पाठ को प्राथमिकता दें।